कक्षा 9 हिन्‍दी 1.कहानी का प्‍लॉट MCQ TEST बिहार बोर्ड कक्षा 9 गोधूलि भाग 1 हिंदी mcq test FOR CLASS 9th

कक्षा 9  हिन्‍दी 1.कहानी का प्‍लॉट MCQ  TEST                       बिहार बोर्ड कक्षा 9 गोधूलि भाग 1 हिंदी   Class 9th Hindi Chapter 1 Kahani ka Plot Objective Question   के पाठ एक के ऑब्‍जेक्टिव प्रश्‍नों के उत्तर को देंगे । जो ज्ञान की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है।  objective type question का फ्री में टेस्ट दे सकते है  mcq test  FOR CLASS 9th                                            हिन्‍दी कहानी का प्‍लॉट MCQ          इस टेस्ट में कक्षा 9 के हिंदी के हिन्‍दी कहानी का प्‍लॉट MCQ   का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन को देकर आप अपने विषय का RIVISION कर सकते  है सामान्य जानकारी  इसको देने से पहले आपको अपना नाम लिखना होगा तब गाँव का नाम  इसके बाद next button पर क्लिक करे   उसके बाद आपको प्रशन दिखने लगेंगे जिसको आप सही से भर देंगे  जब आप सभी प्रश्न का सही सही उत्तर दे  देंगे तब आपको सबसे निचे submit बटन पर क्लिक करना है फिर आपको view score पर क्लिक करना है   ऐसा करने के बाद आपका उत्तर कितना सही हुआ है और कितना गलत यह आपको दिखने लगेगा साथ ही गलत उतर का सही उत्तर भी दिखाई देगा | Loading… objec

भारत की मिट्टी ।।

भारत की मिट्टी

मिट्टी के अध्ययन के विज्ञान को मृदा कहा जाता है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भारत के मिट्टी को आठ वर्गों में विभाजित किया है जो निम्न है —

  1. जलोढ़ मिट्टी
  2. काली मिट्टी
  3. लाल मिट्टी
  4. लेटराइट मिट्टी
  5. मरुस्थलीय मिट्टी
  6. क्षारीय मिट्टी
  7. पिटमय और जैव मिट्टी
  8. वनीय मिट्टी 

1.जलोढ़ मिट्टी

  • यह मिट्टी भारत के लगभग 22 % प्रतिशत क्षेत्रफल पर पाई जाती है।
  • यह नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी है। इस मिट्टी में पोटाश की बहूलता होती है लेकिन नाइट्रोजन ,फास्फोरस एवं ह्यूमस की कमी होती है।
  • यह दो प्रकार की होती है—1.खादर 2.बांगर
  • पुराने जलोढ़ मिट्टी को बांगर तथा नई जलोढ़ मिट्टी को खादर कहा जाता है।
  • जलोढ़ मिट्टी में उर्वरता के दृष्टिकोण से काफी अच्छी मानी जाती है इसमें धान ,गेहूं ,मक्का ,तिलहन ,दलहन, आलू आदि फसलें उगाई जाती है।

  • 2.काली मिट्टी

  • इसका निर्माण बेसाल्ट चट्टानों को टूटने फूटने से होता है। इसमें आयरन, चुना ,एल्युमिनियम एवं मैग्नीशियम की बहुलता होती है। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनी फेरस, मैग्नेटाइट एवं जीवांश की उपस्थिति के कारण होता है।
  • इस मिट्टी को रेंगुर मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
  • कपास की खेती के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
  • अतः इसे काली के पास की मिट्टी भी कहा जाता है। अन्य फसलों में गेहूं ,ज्वार, बाजरा आदि को उगाया जाता है।
  • भारत में काली मिट्टी गुजरात ,महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र, उड़ीसा के दक्षिणी क्षेत्र ,कर्नाटक के उत्तरी जिला, आंध्र प्रदेश के दक्षिणी एवं समुद्र तटीय क्षेत्र, तमिलनाडु के सलेम, रामनाथपुरम ,कोयंबटूर तथा तिरुनलवेली जिलों में राजस्थान के बूंदी एवं टोंक  जिलों में पाई जाती है।

  • 3. लाल मिट्टी (Red soil)

  • इसका निर्माण जलवायविक परिवर्तनों के परिणामस्वसखूप रवेदार एवं कायान्तरित शैलों के
  • विघटन एवं वियोजन से होता है। इस मिट्टी में सिलिका एवं आयरन की बहुलता होती है।
  • लाल मिट्टी का लाल रंग लौह ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है, लेकिन जलयोजित
  • रूप में यह पीली दिखाई पड़ती है।
  • यह अम्लीय प्रकृति की मिट्टी होती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉरस्फोरस एवं ह्यूमस की कमी
  • होती है। यह मिट्टी प्रायः उर्वरता-विहीन बंजरभूमि के रूप में पायी जाती है।
  •  इस मिट्टी में कपास, गेहूँ, दालें तथा मोटे अनाजों की कृषि की जाती है ।
  • भारत में यह मिट्टी आन्ध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के पूर्वीभाग, छोटानागपूर के पठारी क्षेत्र,
  • प० बंगाल के उत्तरी-पश्चिमी जिलों, मेघालय की गारो, खासी एवं जयन्तिया के पहाड़ी
  • क्षेत्रों, नगालैंड, राजस्थान में अरावली के पूर्वी क्षेत्र, महाराष्ट्र, तमिलनाइ एवं कर्नाटक के
  • कुछ भागों में पायी जाती है ।
  • चुना का इस्तेमाल कर लाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ायी जा सकती है।

  • 4. लेटेराइट मिट्टी (Laterite soil)

  • इसका निर्माण मानसूनी जलवायु की आद्ता एवं शुष्कता के क्रमिक परिवर्तन के परिणामस्वसूप
  • उत्पन्न विशिष्ट परिस्थितियों में होता है। इसमें आयरन एवं सिलिका की बहुलता होती है।
  • शैलों के दूट फूट से निर्मित होने वाली इस मिट्टी को गहरी लाल लेटेराइट, सफेद कैटेरइट
  • तथा भूमिगत जलवायी लैटराइट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • गहरी लाल लैटेराइट में लौह ऑक्साइड तथा पोटाश की बहुलता होती है। इसकी उव्रता
  • कम होती है, लेकिन निचले भाग में कुछ खेती की जाती है।
  • सफेद लेटेराइट की उर्वरकता सबसे कम होती है और केओलिन के कारण इसका रंग सफेद
  • होता है। भूमिगत जलवायी लैटेराइट काफी उपजाऊ होती है, क्योंकि वर्षाकाल में लौह
  • ऑक्साइड जल के साथ घुलकर नीचे चले जाते हैं।
  • ललेटेराइट मिट्टी चाय की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

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