तुलसी
- Get link
- Other Apps
तुलसी।।tulsi।।
हमारे घरके आँगनमें दो ऊँचे-ऊँचे गमले बने हुए हैं। उन दोनोंमें माताजीने तुलसीके पौधे लगा रखे हैं। एक तुलसीके पत्तोंका रंग हरा है और दूसरी के पत्तो काला। हरे पत्तोंवाली तुलसी को माताजी राम-तुलसी कहती हैं और काले पत्तोंवालीको श्यामा-तुलसी। माताजी प्रातः काल स्रान करनेके बाद तुलसीमें जल डालती हैं । जल डालकर वे हाथ जोड़कर उसके चारों ओर फेरी देती हैं। बादमें उसके पत्ते तोड़कर भगवान्को चढ़ाती हैं । सायंकाल माताजी दोनों गमलों पर दीपक जलाती हैं। वे तुलसीके गमलोंको लीप-पोतकर बड़ा साफ-सथरा रखती हैं।
तुलसीका पौधा बहुत बड़ा नहीं होता। यह करीब
दो हाथ ऊँचा होता है। इसमें बहुत-सी टहनियाँ चारों
तरफ फैलती हैं। तुलसीके पत्ते गोलाई लिये हुए और
छोटे होते हैं। इसकी प्रत्येक डालपर फूलोंकी एक
बाल निकलती है. जिसको 'मंजरी' कहते हैं। मंजरीमें
बड़ी मीठी गन्ध होती है। मंजरी में छोटे-छोटे बीज
होते हैं। जब मंजरी पककर सुख जाती है, तब बीज
सूखंनीचे मिट्टीमें गिर जाते हैं। वर्षाके दिनोंमें इन्हीं बीजोंसे
सैकड़ों छोटे-छोटे नये पौधे उग आते हैं।
तुलसीमें बहुत गुण हैं । इसके पत्तों और फूलॉंकी
गन्धसे हवा शुद्ध होती है। जिस घरमें तुलसीका पौधा
होता है, उसमें रोग कम आते हैं ।
तुलसीकी पत्तियोंका स्वाद चरपरा होता है।
तुलसीकी पत्तियाँ बहुत-से रोगोंमें काम आती हैं। जब
हमारे घरमें किसीके मलेरिया बुखार चढ़ता है तब
माताजी काली मिर्चके साथ तुलसीकी चाय बनाकर
पिलाती हैं । इससे बुखार बहुत जल्दी छूट जाता है।
सर्दीके दिनोंमें भी हम तलसीकी चाय पीते हैं । इससे
सर्दी कम लगती है और जुकाम नहीं होता। किसी
दिन मेरे कानमें दर्द हो जाता है तो माताजी
पत्तोंका रस गरम करके कानमें टपका देती हैं। इससे
दर्द अच्छा हो जाता है। माताजी कहा करती हैं कि
बिच्छूके डंक और साँप काटनेकी भी तुलसी अच्छी
दवा है।
वे पौधा जब सूख जाता है तब इसकी
लकड़ीकी मालाएँ बनायी जाती हैं । तीर्थोंमें ये मालाएँ
मिलती हैं। भक्त लोग तुलसीकी माला तथा कंठी
गलेमें पहनते हैं।
तुलसी हमारी माँ है। यह माँके समान ही हमारा
भला करती है। यह भगवान्की पूजामें बहुत काम
आती है। हम सबको अपने- अपने घरोंमें तुलसीका
पौधा रखना चाहिये।
इन्हें भी पढ़ें:—
- Get link
- Other Apps
Comments
Post a Comment