भारत के महान गणितज्ञ एवम् वैज्ञानिक।
1. आर्यभट्ट :
आर्यभट्ट पाँचवीं सदी के गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी और भौतिक विज्ञानी थे। 23 वर्ष की उम्न में, इन्होंने आर्यभट्टिया (Aryabhatiya) की रचना की, जो उनके समय के गणित का सार है। सबसे पहली बार उन्होंने ही पाई (pie) का मान 3.1416 निकाला था । आर्यभट्ट ने खगोलशास्त्र में बहुत योगदान दिया और इस वजह से खगोलशास्त्र के पिता के तौर पर जाने जाते हैं।
भारत द्वारा कक्षा में भेजे गए पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखां गया
था।
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महाविराचार्य |
2. महावीराचार्य :
महावीराचार्य 8वीं सदी के भारतीय गणितज्ञ (जैन) थे। ये
गुलबर्गा के रहने वाले थे जिन्होंने बताया था कि नकारात्मक अंक का वर्गमूल नहीं
होता।৪50 ई०वी० में, जैन गुरु महावीराचार्य ने गणित सार संग्रह की रचना की
थी।वर्तमान समय में अंकगणित पर लिखी गई यह पहली पाठ्य-पुस्तक है।
इन्होंने दी गई संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त (एलसीएम- लीस्ट कॉमन
मल्टिपल)निकालने का तरीका भी बताया था।
दुनिया में जॉन नेपियर ने एलसीएम को हल करने का तरीका बताया लेकिन भारतीय इसे
पहले से ही जानते थे।
3. वराहमिहिर :
वराहमिहिर ने जल विज्ञान, भूविज्ञान, गणित और पारिस्थितिकी के क्षेत्र में
महान योगदान दिया। विज्ञान के इतिहास में सबसे पहली बार इन्होंने ही दावा किया था
कि कोई 'बल' है जो गोलाकार पृथ्वी की वस्तुओं को आपस में बाँधे रखता है और अब इसे
गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। ये पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने एक ऐसे संस्करण की खोज की
थी जिसे आज की तारीख में पास्कल का त्रिकोण कहां जाता है। ये द्वीपद गुणांक की
गणना किया करते थे। वराहमिहिर द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणियाँ इतनी सटीक होती
थी कि राजा विक्रमादित्य ने उनहें ' वराह' की उपाधि से सम्मानित किया था।
4. चरक :
चरक को प्राचीन
भारतीय चिकित्सा विज्ञान का पिता भी कहा जाता है।
राजा कनिष्क के दरबार में ये राज वैद्य (शाही डॉक्टर) थे। चिकित्सा पर इनकी
उल्लेखनीय किताब है चरक संहिता। इसमें इन्होंने रोगों के विभिन्न विवरण के साथ
उनके कारणों की पहचान एवं उपचार के तरीके बताए हैं। पाचन, चयापचय और
प्रतिरक्षा के बारे में बताने वाले ये पहले व्यक्ति थे।
5. होमी जहागीर भाभा :
होमी जहागीर भाभा ही वह शख्स हैं जिन्हें
भारतीय परमाणु का जनक कहा जाता है। मुंबई
में भाभा परमाणू शोध संस्थान की स्थापना करने वाले भी होमी जहाँगीर भाभा ही हैं।
6. विक्रम साराभाई :
विक्रम साराभाई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान राष्ट्रीय समिति के पहले अध्यक्ष रहे हैं । इसके अलावा थुम्बा में स्थित इक्वेटोरियल रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र
के मुख्य सूत्रधार रहे हैं । भाभा के बाद परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी विक्रम
साराभाई ही बने थे।
7, महर्षि पतंजलि :
इन्हें महर्षि पतंजलि को
योग के पिता के तौर पर जाना जाता है।
इन्होंने योग के 195 सुत्रों का संकलन किया था। पतंजलि के योग सूत्र में ओम्
को भगवान के प्रतीक के तौर पर बोला जाता है। इन्होंने ओम् को लौकिक ध्वनि बताया, था। इन्होंने चिकित्सा पर किए काम को एक
पुस्तक में
संकलित किया और पाणिनी के व्याकरण पर इनके काम को महाभाष्य के नाम से जाना जाता
है।
৪. एस०एस० भटनागर :
देश में वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं की स्थापना करने वाले एस०एस० भटनागर ने विज्ञान
प्रसारक के रूप में अपने कई योगदान दिए हैं और भारत को कई उपलब्धियाँ दिलाई
जिनके कारण यह विश्वभर में एक
जानी मानी हस्ती बन गए।
9. सतीश धवन :
सतीश धवन ध्वनि के तेज रफ्तार (सूपरसोनिक) विंड
टनेल के विकास के मुख्य सुत्रधारक रहे हैं साथ ही इन्हें सन् 1971 में विज्ञान
एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार ने पदमभूषण से भी सम्मानित किया।
10. जगदीश चंद्र बसु :
जगदीश चंद्र बसु ही भारत
के पहले वैज्ञानिक शोधकर्ता थे और यही वो शख्स
हैं
जिन्होंने बताया कि पौधों में भी जीवन होता है।
अपनी उपलब्धियों और भौतिक तथा जीव विज्ञान
के लिए जगदीश चंद्र बसु 'रॉयल सोसायटी लंदन
के फैलो भी चुने गए।
11. बीरबल साहनी :
भारत के सर्वश्रेष्ठ पेलियो-जियोबॉटनिस्ट माने जाने वाले बीरबल साहनी ने कई उपलब्धियाँ हासिल की और अपनी उपलब्धियों के चलते ही यह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के पुरावनस्पति वैज्ञानिक भी थे।
12, सुब्रहमण्यम चंद्रखेशर :
भारत के सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में से एक रहे हैं जो
1983 में तारों पर की गई इनकी खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित हुए।
13. हरगोविंद खुराना :
जीन के संश्लेषण करने वाले हरगोविंद खुराना अपने इस योगदान के लिए नोबेल
पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
14. ए०पी०जे० अब्दुल कलाम :
भारत के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपति रहे और
मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले ए०पी०
जे० अब्दुल कलाम ने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेषणों को स्वदेशी तकनीक से बनाया
। अपने ऐसे अह्म योगदान के लिए भारत सरकार ने इनहें 1981 में पदुमभूषण और 1990
में पदम विभूषण से सम्मानित किया।